मध्यम वर्ग का संकट: प्रौद्योगिकी और आर्थिक अनिश्चितता का दौर
आज के समय में मध्यम वर्ग एक गंभीर संकट से गुजर रहा है। पारंपरिक रूप से सुरक्षित माने जाने वाले रोजगार के स्रोत—जैसे आईटी सेवाएँ, बैंकिंग, मीडिया—अब उतने विश्वसनीय नहीं रहे। प्रौद्योगिकी, विशेषकर कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), इन क्षेत्रों में मानव श्रम की आवश्यकता को कम कर रही है। इसका सीधा प्रभाव युवा स्नातकों और मध्यम प्रबंधन स्तर के पेशेवरों पर पड़ रहा है, जिनके लिए रोजगार के अवसर सिकुड़ते जा रहे हैं।
प्रौद्योगिकी का प्रभाव और रोजगार का संकट
पिछले कुछ वर्षों में, आईटी कंपनियों, बैंकों और मीडिया संस्थानों में नए कर्मचारियों की भर्ती में भारी कमी आई है। कई प्रमुख कंपनियाँ या तो युवाओं को नौकरी नहीं दे रही हैं या फिर पहले से कार्यरत कर्मचारियों की छंटनी कर रही हैं। AI की बढ़ती क्षमताओं के कारण, ऐसे कई कार्य जो पहले मानव द्वारा किए जाते थे, अब स्वचालित हो रहे हैं। उदाहरण के लिए, मीडिया क्षेत्र में AI का उपयोग समाचार संपादन, लेखन और यहाँ तक कि साक्षात्कारों के संपादन में भी होने लगा है। शुरुआत में यह सहायक (co-pilot) के रूप में काम कर सकता है, लेकिन भविष्य में यह संभव है कि मानव संपादकों की आवश्यकता ही समाप्त हो जाए।
यह समस्या केवल एंट्री-लेवल नौकरियों तक सीमित नहीं है। मध्यम प्रबंधन स्तर पर भी AI और ऑटोमेशन के कारण नौकरियाँ खत्म हो रही हैं। HR (मानव संसाधन) जैसे क्षेत्र, जहाँ CV शॉर्टलिस्टिंग, इंटरव्यू लेना और वेतन वार्ता जैसे कार्य होते हैं, भविष्य में पूरी तरह से AI द्वारा संचालित हो सकते हैं। इसका मतलब यह है कि स्थिर नौकरियों की जगह अब गिग इकोनॉमी (Gig Economy) लेती जा रही है, जहाँ पेशेवरों को स्वयं को एक फ्रीलांसर या उद्यमी के रूप में स्थापित करना होगा।
युवाओं के लिए चुनौतियाँ और बेरोजगारी का बढ़ता स्तर
भारत की जनसंख्या का माध्यम आयु लगभग 28 वर्ष है, और हर साल लगभग 10 मिलियन युवा स्नातक डिग्री लेकर नौकरी की तलाश में बाजार में आते हैं। लेकिन रोजगार के अवसर सीमित होने के कारण, बेरोजगारी की दर लगातार बढ़ रही है। पश्चिमी देशों में, जहाँ श्रम की कमी है, वहाँ AI के कारण होने वाली नौकरियों की कटौती को संभालना आसान हो सकता है। लेकिन भारत जैसे युवा आबादी वाले देश में, यह समस्या गंभीर रूप ले सकती है।
मध्यम वर्ग की आर्थिक असुरक्षा और बढ़ता कर्ज
इस तकनीकी बदलाव के साथ-साथ एक और गंभीर समस्या मध्यम वर्ग की बढ़ती आर्थिक असुरक्षा है। आरबीआई के आँकड़ों के अनुसार, भारत में घरेलू बचत (household savings) पिछले 50 वर्षों में सबसे निचले स्तर पर है। इसके विपरीत, मध्यम वर्ग का कर्ज (household debt) दुनिया में सबसे अधिक है। घर खरीदने के लिए लिए गए लोन (होम लोन) को छोड़ दें, तो भी भारतीय मध्यम वर्ग का कर्ज चिंताजनक स्तर पर पहुँच चुका है।
लोगों की खर्च करने की आदतें भी बदल रही हैं। अधिकांश लोग विलासिता की वस्तुओं—जैसे महँगे गैजेट्स, कारें, छुट्टियाँ—पर पैसा खर्च कर रहे हैं, लेकिन बचत न के बराबर कर रहे हैं। यह एक खतरनाक स्थिति है, क्योंकि भविष्य में नौकरियों की अनिश्चितता के कारण उन्हें आर्थिक संकट का सामना करना पड़ सकता है।
भविष्य की तैयारी: गिग इकोनॉमी और उद्यमिता
इस चुनौतीपूर्ण समय में, मध्यम वर्ग को अपने वित्तीय नियोजन पर गंभीरता से विचार करना होगा। भविष्य में स्थिर नौकरियाँ कम होंगी और गिग इकोनॉमी का विस्तार होगा। अर्थात्, अधिकांश पेशेवरों को स्वयं का काम शुरू करना होगा या फिर फ्रीलांसिंग के माध्यम से आय अर्जित करनी होगी। जिस तरह वकील, चार्टर्ड अकाउंटेंट और वित्तीय सलाहकार स्वतंत्र रूप से काम करते हैं, उसी तरह भविष्य में पत्रकार, इंजीनियर, कोडर और यहाँ तक कि HR पेशेवरों को भी स्वयं का उद्यमी बनना पड़ सकता है।
विश्लेषण
मध्यम वर्ग के सामने मौजूद यह संकट केवल भारत तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक वैश्विक चुनौती है। हालाँकि, भारत जैसे युवा और जनसंख्या-प्रधान देश में इसका प्रभाव अधिक गहरा होगा। इसलिए, युवाओं और मध्यम आयु वर्ग के पेशेवरों को अब से ही वित्तीय सुरक्षा, बचत और नए कौशल सीखने पर ध्यान देना चाहिए। सरकार और नीति निर्माताओं को भी इस दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे, ताकि रोजगार के नए अवसर सृजित किए जा सकें और मध्यम वर्ग को इस संकट से उबारा जा सके।