फाइलेरिया: कारण, लक्षण, इलाज और बचाव की पूरी जानकारी
प्रमुख तथ्य: फाइलेरिया एक उष्णकटिबंधीय रोग है जो मच्छरों के काटने से फैलता है। भारत में यह बीमारी मुख्य रूप से बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड और अन्य पूर्वी राज्यों में पाई जाती है।
फाइलेरिया क्या होता है?
फाइलेरिया एक गंभीर परजीवी रोग है जो मच्छरों के काटने से फैलता है। यह रोग फाइलेरियल वर्म (Filarial worm) नामक परजीवी कीड़ों के कारण होता है जो शरीर की लसीका प्रणाली को नुकसान पहुंचाते हैं।
फाइलेरिया के प्रमुख प्रकार
परजीवी का नाम | प्रभावित अंग | रोग का नाम |
---|---|---|
Wuchereria bancrofti | लसीका तंत्र | लसीकीय फाइलेरिया |
Brugia malayi | लसीका तंत्र | लसीकीय फाइलेरिया |
Loa loa | आँखों के आसपास | आई-वॉर्म |
Onchocerca volvulus | त्वचा व आँखें | रिवर ब्लाइंडनेस |
फाइलेरिया कैसे फैलता है?
फाइलेरिया का संक्रमण निम्न तरीके से होता है:
- मच्छर जब किसी संक्रमित व्यक्ति को काटता है, तो वह लार्वा (larvae) अपने शरीर में ले लेता है
- जब वही मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है, तो लार्वा उस व्यक्ति के शरीर में चला जाता है
- ये लार्वा लसीका प्रणाली में जाकर वयस्क कीड़े (adult worms) बन जाते हैं
- ये कीड़े लसीका नलियों को ब्लॉक कर देते हैं, जिससे शरीर के विभिन्न हिस्सों में सूजन आ जाती है
गंभीर लक्षण (लंबे समय बाद):
- अंगों में बहुत अधिक सूजन (हाथ, पैर, स्तन, अंडकोष)
- त्वचा मोटी हो जाना और रूखी होना
- चलने-फिरने में कठिनाई
- पुरुषों में हाइड्रोसील (Hydrocele: अंडकोष में सूजन)
- एलीफैंटियासिस (हांथी पावं) (Elephantiasis) - अंगों का बहुत बड़ा और विकृत हो जाना

फाइलेरिया का निदान (Diagnosis)
फाइलेरिया की पुष्टि के लिए निम्न टेस्ट किए जाते हैं:
टेस्ट का नाम | उद्देश्य | विशेषताएँ |
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ब्लड स्मीयर | माइक्रोफाइलेरिया देखना | रात में (10 PM से 2 AM) किया जाता है |
ICT टेस्ट | एंटीजेन की पहचान | दिन में कभी भी किया जा सकता है |
PCR टेस्ट | DNA पहचान | बहुत संवेदनशील, महंगा |
अल्ट्रासाउंड | वयस्क कीड़ों की पहचान | सूजन वाले अंगों में उपयोगी |
फाइलेरिया का इलाज
दवा का नाम | कार्य | महत्वपूर्ण जानकारी |
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Diethylcarbamazine (DEC) | माइक्रोफाइलेरिया और वयस्क कीड़ों को मारती है | सरकार द्वारा मुफ्त दी जाती है |
Albendazole | कीड़ों के खिलाफ असरदार | आमतौर पर DEC के साथ दी जाती है |
Ivermectin | माइक्रोफाइलेरिया के लिए | कुछ क्षेत्रों में प्रयोग होता है |
नोट: गंभीर सूजन (जैसे हाइड्रोसील या एलीफैंटियासिस) के मामलों में सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है। साथ ही, संक्रमित व्यक्ति को स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना चाहिए और प्रभावित अंगों की विशेष देखभाल करनी चाहिए।
फाइलेरिया से बचाव
फाइलेरिया से बचने के लिए निम्न उपाय करें:
- मच्छरों से बचें: मच्छरदानी का प्रयोग करें, मच्छर भगाने वाली क्रीम लगाएं
- सरकारी दवा अभियान: सरकार द्वारा चलाए जा रहे मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (MDA) कार्यक्रम में DEC और Albendazole की खुराक अवश्य लें
- साफ-सफाई: घर के आसपास पानी जमा न होने दें, गंदगी न रखें
- जागरूकता: फाइलेरिया के बारे में जानकारी फैलाएं और लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें
भारत में फाइलेरिया की स्थिति
भारत दुनिया के सबसे ज्यादा फाइलेरिया-प्रभावित देशों में से एक है। निम्न राज्यों में सबसे अधिक मामले पाए जाते हैं:
- बिहार
- उत्तर प्रदेश
- झारखंड
- ओडिशा
- पश्चिम बंगाल
- आंध्र प्रदेश
सरकारी पहल: भारत सरकार ने 2030 तक देश से फाइलेरिया उन्मूलन का लक्ष्य रखा है। इसके लिए वार्षिक दवा वितरण अभियान (MDA), जागरूकता कार्यक्रम और बेहतर निदान सुविधाएं शुरू की गई हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
1. क्या फाइलेरिया छूने से फैलता है?
नहीं, फाइलेरिया एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को छूने से नहीं फैलता। यह केवल मच्छरों के काटने से फैलता है।
2. फाइलेरिया की जांच के लिए खून क्यों रात में लिया जाता है?
फाइलेरिया के माइक्रोफाइलेरिया (लार्वा) रात के समय (10 PM से 2 AM) खून में सबसे अधिक मात्रा में पाए जाते हैं। इसलिए इस समय खून की जांच करने पर सटीक परिणाम मिलते हैं।
3. क्या फाइलेरिया पूरी तरह ठीक हो सकता है?
हां, प्रारंभिक अवस्था में पकड़े जाने पर दवाओं से फाइलेरिया पूरी तरह ठीक हो सकता है। हालांकि, अगर एलीफैंटियासिस हो जाए तो उसे पूरी तरह ठीक नहीं किया जा सकता, लेकिन उपचार से स्थिति को बेहतर बनाया जा सकता है।