आज के इस ब्लॉग में हम बात करेंगे भाषा और लिपि के इतिहास पर। भले ही हम सभी ने बचपन में भाषा और लिपि के बारे में पढ़ा है, लेकिन यहां हम इतिहास के कुछ अनसुने पहलुओं पर चर्चा करेंगे। खासतौर पर, भारत में प्राचीन राजाओं के अभिलेखों में इस्तेमाल की गई भाषाओं और लिपियों के बारे में। इन अभिलेखों में कौन-सी भाषा और लिपि का उपयोग किया गया है, इस पर विस्तार से बात करेंगे।
इतिहासकारों ने भाषा और लिपि के इतिहास को लेकर कई भ्रम फैलाए हैं। इस ब्लॉग का उद्देश्य किसी भी धर्म, जाति, परंपरा या व्यक्ति की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है। साथ ही, यह लेख राजनीति से जुड़ा नहीं है, इसलिए इसे राजनीति से जोड़ने का प्रयास न करें।
भारत में भाषा और लिपि का विकास
जब भी भारत में भाषा और लिपि की बात होती है, तो सबसे पहले संस्कृत का नाम आता है। लेकिन संस्कृत को ही सर्वश्रेष्ठ मानना पूरी तरह सही नहीं है। भाषा और लिपि की उत्पत्ति हड़प्पा सभ्यता से मानी जानी चाहिए।
इतिहासकारों ने हड़प्पा सभ्यता की भाषा और लिपि दोनों को नजरअंदाज किया है। भले ही हम आज तक हड़प्पा सभ्यता की भाषा को पूरी तरह समझने में असमर्थ रहे हैं, लेकिन उनके मोहरों और अभिलेखों पर लिखी लिपि हमारे पास मौजूद है।
भाषा क्या है?
भाषा को सरलता से परिभाषित करें तो यह हमारे विचारों को व्यक्त करने का माध्यम है।
महाकवि सुमित्रानंदन पंत ने भाषा को "विश्व की हृदय-तंत्री की झंकार" कहा है, जबकि रामचंद्र वर्मा ने इसे "मुझसे उच्चरित होने वाले शब्दों का समूह" बताया है।
लिपि क्या है?
भाषा को लिखित रूप में प्रस्तुत करने का तरीका लिपि कहलाता है। भारत में कई लिपियों का विकास हुआ है, और इनमें से अधिकांश लिपियों का जन्म ब्राह्मी लिपि से माना जाता है।
भारत की प्रमुख प्राचीन लिपियां
1. हड़प्पा सभ्यता की लिपि
हड़प्पा सभ्यता की लिपि को भारत की सबसे प्राचीन लिपि माना जाता है। हालांकि, इसे आज तक पूरी तरह पढ़ा नहीं जा सका है।
2. ब्राह्मी लिपि
ब्राह्मी लिपि को भारत की दूसरी प्राचीन लिपि माना जाता है। इसका उपयोग सम्राट अशोक के अभिलेखों में किया गया है।
- ब्राह्मी लिपि बाईं से दाईं ओर लिखी जाती है।
- गुप्तकाल में ब्राह्मी लिपि से कुटिल लिपि, शारदा लिपि और देवनागरी लिपि का विकास हुआ।
3. खरोष्ठी लिपि
खरोष्ठी लिपि भारत की एक और प्राचीन लिपि है, जिसका उपयोग भारत के पश्चिमी हिस्सों (आधुनिक पाकिस्तान) में किया गया। यह दाईं से बाईं ओर लिखी जाती है।
देवनागरी लिपि का विकास
देवनागरी लिपि का विकास 9वीं-10वीं शताब्दी में हुआ। यही वह लिपि है जिसमें आज हम हिंदी और संस्कृत लिखते हैं।
कुछ महत्वपूर्ण अभिलेख और उनकी लिपियां
1. सम्राट अशोक के अभिलेख
अशोक के अभिलेखों में ब्राह्मी और खरोष्ठी लिपि का उपयोग किया गया है।
2. गुप्तकालीन अभिलेख
गुप्तकाल के दौरान, ब्राह्मी लिपि से विकसित हुई लिपियों का उपयोग किया गया। हालांकि, इन लिपियों में लिखे अभिलेख आज की संस्कृत भाषा से मेल नहीं खाते।
3. रुद्रदामन का जूनागढ़ अभिलेख
यह अभिलेख इतिहासकारों के अनुसार संस्कृत का पहला अभिलेख माना जाता है। लेकिन इसकी भाषा को समझना बेहद मुश्किल है।
4. चंद्रगुप्त द्वितीय का लौह स्तंभ
इस स्तंभ में संस्कृत के बजाय केवल एक जगह "चंद्र" शब्द लिखा गया है, जिसे इतिहासकारों ने चंद्रगुप्त द्वितीय से जोड़ दिया।
संस्कृत और देवनागरी लिपि का भ्रम
इतिहासकारों का मानना है कि गुप्तकाल में संस्कृत का प्रचलन था। लेकिन देवनागरी लिपि का विकास 9वीं-10वीं शताब्दी में हुआ। इससे पहले संस्कृत को ब्राह्मी लिपि में लिखने के प्रमाण नहीं मिलते।
भाषा और लिपि का घालमेल
सम्राट अशोक के शासनकाल के बाद भारत में अनेक आक्रमण हुए। इन आक्रमणों के साथ विदेशी भाषाएं और लिपियां भी भारत में आईं।
- पाली भाषा में कई विदेशी शब्द जुड़ गए।
- संस्कृत का विकास देवनागरी लिपि के साथ हुआ, जो कि 9वीं शताब्दी से पहले प्रचलित नहीं थी।
इतिहासकारों द्वारा फैलाए गए भ्रम
इतिहासकारों ने संस्कृत को प्राचीनतम भाषा के रूप में प्रचारित किया, लेकिन पाली भाषा और हड़प्पा सभ्यता की लिपि को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया।
सच्चाई जानने का तरीका
यदि आप भारत की प्राचीन भाषा और लिपि का सही इतिहास जानना चाहते हैं, तो केवल किताबों पर निर्भर न रहें। प्राचीन राजाओं के अभिलेखों का अध्ययन करें।
निष्कर्ष
भारत की सबसे पुरानी भाषा और लिपि को लेकर कई भ्रम हैं। पाली भाषा और हड़प्पा सभ्यता की लिपि का अध्ययन किए बिना सही निष्कर्ष पर पहुंचना मुश्किल है।
यदि आपके कोई प्रश्न हैं, तो आप कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं। इस ब्लॉग को शेयर करें और सही जानकारी फैलाने में मदद करें।
धन्यवाद!
#Source : https://www.youtube.com/@HamaraAteet