भूमिका
भाषा और लिपि हमारी सभ्यता और संस्कृति का अभिन्न हिस्सा हैं। बचपन में हमने भाषा और लिपि के बारे में बुनियादी बातें जरूर पढ़ी होंगी, लेकिन इस लेख में हम आपको इतिहास के कुछ अनछुए पहलुओं से परिचित कराएंगे। आप जानेंगे कि कैसे विभिन्न राजाओं के अभिलेखों में लिपि और भाषा का उपयोग हुआ और इतिहासकारों ने हमें किन-किन बातों को लेकर गुमराह किया।
इस लेख का उद्देश्य
यह लेख किसी भी व्यक्ति, धर्म, वंश, या परंपरा को नीचा दिखाने या उनकी भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए नहीं है। इसका मकसद केवल ऐतिहासिक तथ्यों और तर्कों को सामने रखना है। इस लेख का राजनीति से कोई संबंध नहीं है, इसलिए इसे राजनीति से जोड़ने की कोशिश न करें।
भाषा और लिपि क्या हैं?
भाषा और लिपि का अध्ययन तभी समझ में आता है जब हम उनके मूल स्वरूप को जानें।
भाषा की परिभाषा
- सुमित्रानंदन पंत के अनुसार, "भाषा संसार का आनंदमय चित्र और ध्वनिमय स्वरूप है, जो विश्व के हृदय की झंकार है।"
- रामचंद्र वर्मा की परिभाषा है, "मुझसे उच्चरित होने वाले शब्दों और वाक्यों का समूह, जिसके द्वारा हम अपने मन की बात बताते हैं, वह भाषा है।"
सरल शब्दों में, अपने विचारों को शब्दों के माध्यम से प्रस्तुत करना ही भाषा है।
लिपि की परिभाषा
लिपि वह माध्यम है जिसके द्वारा भाषा को लिखित रूप दिया जाता है। यह लिखावट का वह स्वरूप है जो भाषा को पढ़ने और संरक्षित करने में सहायक होता है।
भारत की प्रमुख लिपियाँ और उनका इतिहास
1. हड़प्पा सभ्यता की लिपि
भारत की सबसे प्राचीन लिपि हड़प्पा सभ्यता की लिपि मानी जाती है।
- हालांकि, इस लिपि को अभी तक पूरी तरह से पढ़ा नहीं जा सका है।
- हड़प्पा सभ्यता की भाषा और लिपि को इतिहासकारों ने लंबे समय तक नज़रअंदाज़ किया।
2. ब्राह्मी लिपि
- ब्राह्मी लिपि को भारत की दूसरी प्राचीन लिपि माना जाता है।
- इसका उपयोग सम्राट अशोक के अभिलेखों में किया गया।
- यह लिपि बाएँ से दाएँ लिखी जाती थी।
- ब्राह्मी से कई अन्य लिपियों का विकास हुआ, जैसे:
- उत्तरी ब्राह्मी से: कुटिल, शारदा, देवनागरी।
- दक्षिणी ब्राह्मी से: तमिल, तेलुगु, कन्नड़।
3. खरोष्ठी लिपि
- खरोष्ठी लिपि भारत की दूसरी प्राचीन लिपि मानी जाती है।
- इसका उपयोग अशोक के मानसेहरा और शाहबाजगढ़ी अभिलेखों में हुआ।
- यह लिपि दाएँ से बाएँ लिखी जाती थी।
4. गुप्तकालीन लिपि
- गुप्त काल (4-6वीं सदी) में ब्राह्मी लिपि से विकसित एक नई शैली का उपयोग किया गया।
- गुप्तकालीन लिपि से ही कुटिल और बाद में देवनागरी लिपि का विकास हुआ।
5. देवनागरी लिपि
- देवनागरी लिपि का विकास 9वीं-10वीं शताब्दी में हुआ।
- यह लिपि संस्कृत, हिंदी, और कई भारतीय भाषाओं की मानक लिपि है।
- भारतीय संविधान में देवनागरी लिपि को आधिकारिक मान्यता प्राप्त है।
इतिहासकारों का भ्रम और गुमराह करने वाले तथ्य
- कई इतिहासकारों ने संस्कृत को सबसे प्राचीन भाषा और ब्राह्मी को पहली लिपि बताया है।
- हड़प्पा सभ्यता की लिपि और भाषा को उचित महत्व नहीं दिया गया।
- सम्राट अशोक के अभिलेखों में पाली और प्राकृत भाषाओं का उपयोग हुआ, लेकिन इसे नजरअंदाज कर संस्कृत पर अधिक जोर दिया गया।
- रुद्रदामन का जूनागढ़ अभिलेख, जिसे संस्कृत का पहला अभिलेख कहा जाता है, वह वास्तव में पढ़ने में कठिन है और उसकी भाषा आज की संस्कृत से मेल नहीं खाती।
- गुप्त कालीन अभिलेखों को संस्कृत में मानना तब तक सही नहीं है जब तक यह प्रमाणित न हो कि वह ब्राह्मी लिपि में लिखी गई संस्कृत हो।
सम्राट अशोक और लिपियों का घमासान
सम्राट अशोक के शासनकाल के बाद भारत में कई बाहरी आक्रमण हुए।
- इन आक्रमणकारियों ने अपनी भाषाओं और लिपियों को भारत में लाया।
- पाली और प्राकृत में ग्रीक, बैक्ट्रियन, और अन्य भाषाओं के शब्द शामिल होते गए।
- यह भाषाई घमासान 9वीं-10वीं शताब्दी तक चला।
अंतिम विचार
भारत की भाषा और लिपि का इतिहास बहुत गहरा और जटिल है।
- सबसे प्राचीन लिपि हड़प्पा सभ्यता की है।
- संस्कृत का विकास देवनागरी लिपि से हुआ, जो 9वीं-10वीं शताब्दी में विकसित हुई।
- यदि आप सही ऐतिहासिक समझ चाहते हैं, तो प्राचीन राजाओं के अभिलेखों का अध्ययन करें, न कि केवल इतिहास की पुस्तकों पर भरोसा करें।