आईआईटी, आईआईएम, प्राइवेट जॉब, आईपीएस फिर आईएएस — एक साधारण व्यक्ति की असाधारण कहानी

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हर साल लाखों युवा यूपीएससी की परीक्षा देते हैं, पर उनमें से कुछ ही होते हैं जो अपने सपनों को साकार कर पाते हैं। ऐसे ही एक नाम हैं — गौरव अग्रवाल, जिनकी ज़िंदगी उस प्रेरणादायक फिल्म जैसी है, जो हमें हार नहीं मानने की सीख देती है।

गौरव एक सामान्य परिवार से आते हैं। 17 साल की उम्र में उन्होंने IIT की परीक्षा दी और 45वीं रैंक लाकर IIT कानपुर में दाखिला लिया। शुरुआत तो शानदार रही, लेकिन धीरे-धीरे उनमें अहंकार आने लगा। “मुझे लगता था कि मैं बहुत तेज़ हूं, मैं कुछ भी कर सकता हूं,” गौरव कहते हैं। नतीजा यह हुआ कि उनका CGPA गिर गया, एक सेमेस्टर में फेल भी हो गए, और आत्मविश्वास डगमगा गया।

पर हार मानना गौरव की आदत नहीं थी।

IIT के बाद उन्होंने CAT परीक्षा पास की और IIM लखनऊ में दाखिला लिया। यहां उन्होंने पिछली गलतियों से सबक लेते हुए हर सेमेस्टर में शानदार प्रदर्शन किया और गोल्ड मेडल हासिल किया। इसके बाद उन्हें हांगकांग की विश्वप्रसिद्ध कंपनी सिटी ग्रुप में नौकरी मिल गई।

पर दिल में कहीं न कहीं यूपीएससी का सपना बाकी था। नौकरी के दौरान जब उन्होंने महसूस किया कि वित्तीय नीतियों में गहरी रुचि है, तो वही सपना फिर से जाग गया।

और यहीं से शुरू हुआ दूसरा अध्याय।

उन्होंने 2012 में UPSC परीक्षा दी और IPS बने। लेकिन उनका मन IAS बनने में था, इसलिए 2013 में फिर परीक्षा दी — और इस बार AIR 1 लाकर टॉप किया। गौरव बन गए राजस्थान के पहले यूपीएससी टॉपर

आईएएस बनने के बाद जब उन्हें राजस्थान में माध्यमिक शिक्षा निदेशक नियुक्त किया गया, तो उन्होंने शिक्षा में तकनीक का इस्तेमाल कर क्रांति ला दी। उन्होंने AI की मदद से लाखों उत्तर पुस्तिकाओं की जांच करवाई, जिससे छात्रों की क्षमताओं का सटीक मूल्यांकन संभव हुआ।

गौरव कहते हैं,

“ज़िंदगी कोई 100 मीटर रेस नहीं होती, यह एक मैराथन है। आपको लगातार अभ्यास करना होता है, संयम रखना होता है और खुद पर भरोसा बनाए रखना होता है।”

वो यह भी मानते हैं कि परीक्षा की तैयारी सिर्फ रट्टा मारने से नहीं होती — यह आपकी सोचने की क्षमता का मूल्यांकन करती है। इसलिए विषयों को समझना ज़रूरी है।

गौरव का सफर हमें यह सिखाता है कि
✅ असफलता अंत नहीं होती
✅ आत्म-अनुशासन और मेहनत से असंभव भी संभव होता है
✅ जोश के साथ होश ज़रूरी है
✅ और — कभी हार मत मानो

उनकी कहानी न केवल यूपीएससी की तैयारी करने वालों को, बल्कि हर उस व्यक्ति को प्रेरणा देती है जो ज़िंदगी में कुछ बड़ा करना चाहता है।

यह कोई 100 मीटर की दौड़ नहीं, ये एक असाधारण धैर्य और संकल्प की मैराथन है।

- Sources: Internet

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