रोहित कुमार: सपनों की मंजिल तक का सफर
मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है...
यह कहावत झारखंड के जमशेदपुर के रोहित कुमार पर सटीक बैठती है, जिन्होंने NEET UG 2025 में 549 अंक हासिल करके अपनी मेहनत और लगन का परचम लहराया है। सामान्य श्रेणी में उन्हें ऑल इंडिया रैंक 12,484 मिली है, और अब वे रिम्स (राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान) में एमबीबीएस की पढ़ाई करने के सपने को साकार करने के करीब हैं।
लेकिन यह सफलता रातों-रात नहीं मिली। यह तीन प्रयासों, अथक मेहनत और अदम्य हौसले की कहानी है।
पहला प्रयास: यूट्यूब से शुरुआत
रोहित ने अपनी NEET की तैयारी बिना किसी महंगी कोचिंग के, सिर्फ यूट्यूब की मदद से शुरू की। उनका पहला प्रयास साल 2023 में था, जहाँ उन्होंने 485 अंक हासिल किए। यह स्कोर उनके लिए प्रेरणा बना, क्योंकि बिना किसी बाहरी मदद के यह उपलब्धि उन्हें आगे बढ़ने का हौसला दे गई।
दूसरा प्रयास: निराशा और फिर नया संकल्प
साल 2024 में, उन्होंने 619 अंक प्राप्त किए, लेकिन दुर्भाग्य से पेपर लीक और कोर्ट केस के कारण उन्हें एमबीबीएस में दाखिला नहीं मिल सका। यह निराशाजनक था, लेकिन उनके बड़े भाई राहुल ने उन्हें हिम्मत दी—
अगर अब तीसरा प्रयास नहीं किया, तो हालात वैसे ही रहेंगे। लेकिन अगर इस बार सफल हो गए, तो ज़िंदगी बदल जाएगी!
तीसरा प्रयास: जीत की गाथा
इस बार, Physics Wallah के 'Yakeen 2.0' बैच ने उनकी मदद की, जहाँ उन्हें सिर्फ ₹5,000 में कोचिंग मिली। रोहित ने दिन में 14 घंटे पढ़ाई की—सुबह लाइब्रेरी, दोपहर में मोबाइल कवर बेचने का काम, और रात में फिर से पढ़ाई। उनकी मेहनत रंग लाई और NEET 2025 में 549 अंक के साथ उन्होंने सफलता हासिल की।
संघर्ष की कहानी: फुटपाथ से मेडिकल कॉलेज तक
रोहित का जीवन आसान नहीं था। उनके पिता सत्येंद्र सिंह, जो सब्जी मंडी में मजदूरी करते थे, डायबिटीज से पीड़ित हैं। घर की आर्थिक स्थिति ऐसी थी कि रोहित को मोबाइल कवर बेचकर और फार्मेसी में काम करके पढ़ाई का खर्च उठाना पड़ा।
मैं सुबह 3 बजे तक पढ़ता था, फिर 7 बजे काम पर चला जाता था। सपने देखने का हक़ सबको है, बस उन्हें पूरा करने का जुनून चाहिए!
सपनों को पंख लगाने वाले हीरो
आज रोहित की सफलता ने न सिर्फ उनके परिवार, बल्कि पूरे इलाके को गर्व से भर दिया है। Physics Wallah के संस्थापक अलख पांडे ने उनसे मुलाकात कर उनकी आगे की पढ़ाई का पूरा खर्च उठाने का वादा किया है।
उनकी कहानी साबित करती है कि संसाधन नहीं, संकल्प बड़ा होता है!
आप भी क्या सीख सकते हैं?
- हार न मानें – रोहित ने तीन बार प्रयास किया।
- संसाधनों की कमी को बहाना न बनाएं – यूट्यूब और ऑनलाइन कोचिंग ने उनकी मदद की।
- समय प्रबंधन – दिन में काम, रात में पढ़ाई, फिर भी नींद से समझौता नहीं।
रोहित कुमार की यह यात्रा हर उस युवा के लिए प्रेरणा है, जो मुश्किल हालात में भी अपने सपनों को जीना चाहता है।
क्या आप भी अपने सपनों के लिए इतनी मेहनत करने को तैयार हैं? 💪
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